शेर तो मैं बन ना सका... शायरी ही सही?
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Devender Uncle's Birthday Wishes
यह ज़िंदा दिली आपकी हमे खूब रास आई, जीने के नये बहाने मिले, बच्पन की हर कड़ी दिल मे दोहराई चलता रहे यह सुकून का सिलसिला, यही दुआ है आपके जन्मदिन पे सलामत रहे आप में है जो शायर, और रास आती रहे हमे आपकी ठंडी परछाई...
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जूमला की माँ
बड़ी तमन्ना थी के वो मेरी वेबसाइट बना जाते, एक नही तो आधा ही सही, अधूरा ही पेज बना जाते!
बड़ी देर से करते रहे हम पेज के डेवेलप होने का इंतेज़ार, आएगी अब खुश खबरी, इसका रहा हमे बेसब्री से इंतेज़ार
आते हैं, आते हैं कह के, वो दूर दूर तक नज़र नही आते... हमने भी तय किया की अब बस, बहुत हुआ जूमला की मा का इंतेज़ार, क्यों ना पएचपी के पापा से ही कर ले हम दो-आँखें चार?
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माँगा
माँगा उसको खुदा से कब था मैने... चलते चलते यूही, केले के छिलके पे पैर पड़ गया!
This is in response to post by my friend Vikram:
वो मेरी किस्मत मे नही यह सुना है लोगों से... फिर सोचता हूँ किस्मत खुदा लिखता है लोग नही!
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स्टॉप
दिल मे ना बस सकी, कोई बात नही... दिल के बस-स्टॉप पे रुकी, यही बहुत है|
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सितम
तेरे दिल को पाने के लिए, सहे हमने कितने सितम, तेरी प्यार की आग मे झौंका उसे अकेले, होकर बेरहम|
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आवाज़
क्या करें, तेरी आवाज़ ने कर दिया घायल सुन के तेरे बोल, हो गये हम पागल!
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दिल
याद तेरी जाती नही, नींद मुझे आती नही करे क्या इस दिल का, तेरा मरीज़ हो गया!
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याद
याद तेरी जाती नही, नींद मुझे आती नही, करे क्या इस दिल का, कुच्छ अजीब इसका हाल हो गया... बेकरार तो अक्सर रहता था, अब मरीज़ो जैसा हाल हो गया!
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सिलसिला
सिलसिला यह चाहत का, कभी ख़त्म ना हो यूँही, दियासलाई सी रहे तू, मैं मोम सा जलता रहू...
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पुराने
जिनकी याद में हम दीवाने हो गये, उनके लिए हम बेगाने हो गये... शायद उन्हे तलाश हैं अब नये प्यार की, उनकी नज़र में हम पुराने हो गये...
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ऐतबार
(Paras Arora - FB) उसको मेरे वादो का ऐतबार था, दिल में उसके भी बहुत प्यार था| छोड़ दिया उसने बीच सफ़र में मेरा हाथ, शायद किनारे पर उससे किसी और का इंतेज़ार था|
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आवारा
(DK Vig - FB) ना शाखों ने जगह दी ना हवाओ ने बक्शा, वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता?
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ख़ैरियत
(DK Vig - FB) आज कोई नया जख़्म नही दिया... यारो पता तो करो, सब ख़ैरियत तो है?
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यादों
(Dalip Arora - FB Sukoon) उसका वादा भी बड़ा अजीब था, के जिंदगी भर साथ निभाउंगी ! मैंने ये भी नहीं पूछा के मोहब्ब्त के साथ या यादों के साथ !!
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शहर
(Vijay Patel - FB Sukoon) उसके दिल मे थोड़ी सी जगह माँगी थी मुसाफिरों की तरह... उसने तन्हाइयों का ऐक शहर मेरे नाम कर दिया...
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जिंदगी
(Sandeep Vig - FB Sukoon) क्या रखा है अपनी जिंदगी के इस अफसाने में... कुछ गूजरी यार बनाने में; कुछ गूजरी यार मनाने में...
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मोहब्बत
(DK Vig - FB) मोहब्बत कब हो जाये किसे पता... हादसे पूछ कर नही हुआ करते!
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